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म्‍हारी गीगली / आशा पांडे ओझा

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पगलियां में गूहारिया घमकाय‘र
घर आंगणै धमचक मचावती
कदै डागळां रै माथै
कदै घर रै बारणै
तुळसी सींचती
दैव आल्यां दीवला जोवती
जद कदै भीज जांवती
म्हारी आंख्यां
मुळक -मुळक निचोंवती
फिरती- घिरती जाणै कद
निपटाय देवती
घर बारणां रा सगळा काम
कदै म्हारी मा बण हुकम झाड़ती
मा थूं कर आराम
छिण-छिण
लाड रै झिकोळा में
झिकोळी इणनै
हर दीठ-कुदीठ सूं
राखी लुकाय-लुकाय
घणी लाडां-कोडां सूं
पाळी इणनै
आज पूरी पंदरा बरसां री
हुगी म्हारी गीगली
आगला कीं बरसां मां
परणा उणनै
अर करणी पड़सी पराई
काळजौ सात हाथ बारणै आग्यो
फगत इण बीचार भर सूं
ढाबियोड़ा नीं ढब रिया
आंख्यां रा बादळ।