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"यक़ीनों की जल्दबाज़ी से / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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एक बार ख़बर उड़ी
 
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कि कविता अब कविता नहीं रही  
 
कि कविता अब कविता नहीं रही  
 
 
और यूँ फैली  
 
और यूँ फैली  
 
 
कि कविता अब नहीं रही !
 
कि कविता अब नहीं रही !
 
 
  
 
यक़ीन करनेवालों ने यक़ीन कर लिया  
 
यक़ीन करनेवालों ने यक़ीन कर लिया  
 
 
कि कविता मर गई,  
 
कि कविता मर गई,  
 
 
लेकिन शक़ करने वालों ने शक़ किया  
 
लेकिन शक़ करने वालों ने शक़ किया  
 
 
कि ऐसा हो ही नहीं सकता  
 
कि ऐसा हो ही नहीं सकता  
 
 
और इस तरह बच गई कविता की जान  
 
और इस तरह बच गई कविता की जान  
 
 
  
 
ऐसा पहली बार नहीं हुआ  
 
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कि यक़ीनों की जल्दबाज़ी से  
 
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महज़ एक शक़ ने बचा लिया हो  
 
महज़ एक शक़ ने बचा लिया हो  
 
 
किसी बेगुनाह को ।
 
किसी बेगुनाह को ।
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02:03, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

एक बार ख़बर उड़ी
कि कविता अब कविता नहीं रही
और यूँ फैली
कि कविता अब नहीं रही !

यक़ीन करनेवालों ने यक़ीन कर लिया
कि कविता मर गई,
लेकिन शक़ करने वालों ने शक़ किया
कि ऐसा हो ही नहीं सकता
और इस तरह बच गई कविता की जान

ऐसा पहली बार नहीं हुआ
कि यक़ीनों की जल्दबाज़ी से
महज़ एक शक़ ने बचा लिया हो
किसी बेगुनाह को ।