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"यक्ष प्रश्न / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति" के अवतरणों में अंतर

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यक्ष प्रश्नों के घेरे में  
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मेरी मुमुक्ष आत्मा के उदग्रीव दिए ,
 
मेरी मुमुक्ष आत्मा के उदग्रीव दिए ,

19:46, 14 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

यक्ष प्रश्नों के घेरे में

मेरी मुमुक्ष आत्मा के उदग्रीव दिए ,

न जल पा रहे हैं,

न बुझ पा रहे हैं,

आदि आदिम , युग युगांतर का

आदि अनादि प्रश्न

इला मनु से , काल से, ब्रह्माण्ड से,

धरती आकाश से,

प्राण यही पूछते आ रहे हैं.

हमारा उद्भव कहाँ से है ?

हमारा उदगम कहाँ से है?

हमारा संगम कहाँ से है ?

मन किससे पूछ कर प्रत्यायित हो सके ?

कैसे जान कर आत्मस्थ हो सके ?

कौन देगा मेरे परम प्रश्न का चरम उत्तर ?

मेरे यक्ष प्रश्न का युधिष्ठिर उत्तर .