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"यगाना चंगेज़ी / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=अकबर इलाहाबादी
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|रचनाकार=यगाना चंगेज़ी
 
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मिर्ज़ा वाजिद हुसैन ‘यगाना’ चंगेज़खाँ के वंशजों में से हैं।  आपके पूर्वज ईरान से भारत आए थे और तत्कालीन सल्तनत की तरफ़ से पटने [अज़ीमाबाद] में कुछ जागीर प्रदान किए जाने पर वहीं बस गए थे।
 
मिर्ज़ा वाजिद हुसैन ‘यगाना’ चंगेज़खाँ के वंशजों में से हैं।  आपके पूर्वज ईरान से भारत आए थे और तत्कालीन सल्तनत की तरफ़ से पटने [अज़ीमाबाद] में कुछ जागीर प्रदान किए जाने पर वहीं बस गए थे।
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वहीं आपका १८८४ ई. के लगभग जन्म हुआ ।  उर्द-फ़ारसी की शिक्षा के अतिरिक्त १९०३ में आपने मैट्रिक परीक्षा भी पास की।  स्कूल में सदैव प्रथम रहे  और वज़ीफ़े, तमगे़, इनाम आदि हमेशा पाते रहे।
 
वहीं आपका १८८४ ई. के लगभग जन्म हुआ ।  उर्द-फ़ारसी की शिक्षा के अतिरिक्त १९०३ में आपने मैट्रिक परीक्षा भी पास की।  स्कूल में सदैव प्रथम रहे  और वज़ीफ़े, तमगे़, इनाम आदि हमेशा पाते रहे।
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शायरी में आपको ‘शाद’ अज़ीमाबादी-जैसे बडे़ उस्ताद का शिष्य होने का गौरव प्राप्त हुआ।  १९०५ई. में आप स्वास्थ्य-सुधार की दृष्टि से लखनऊ गए थे, वहाँ का वातावरण आपको इतना पसन्द आया कि वहीं सकूनत अख्तियार कर ली और १९१३ई. में वहीं के एक प्रतिष्ठित परिवार की कन्या से शादी भी हो गई।  उन दिनों आप ‘यास’ उपनाम से शायरी करते थे और ‘यास’ अज़ीमाबादी नाम से प्रसिद्ध थे।
 
शायरी में आपको ‘शाद’ अज़ीमाबादी-जैसे बडे़ उस्ताद का शिष्य होने का गौरव प्राप्त हुआ।  १९०५ई. में आप स्वास्थ्य-सुधार की दृष्टि से लखनऊ गए थे, वहाँ का वातावरण आपको इतना पसन्द आया कि वहीं सकूनत अख्तियार कर ली और १९१३ई. में वहीं के एक प्रतिष्ठित परिवार की कन्या से शादी भी हो गई।  उन दिनों आप ‘यास’ उपनाम से शायरी करते थे और ‘यास’ अज़ीमाबादी नाम से प्रसिद्ध थे।
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हैदराबाद रियास के महाराजा किशन प्रसाद ‘शाद’- प्रधानमंत्री के निमंतत्रण पर आप हैदराबाद चले गए और वहाँ ‘यास’ की बजाय ‘यगाना’ उपनाम से शेर कहने लगे।
 
हैदराबाद रियास के महाराजा किशन प्रसाद ‘शाद’- प्रधानमंत्री के निमंतत्रण पर आप हैदराबाद चले गए और वहाँ ‘यास’ की बजाय ‘यगाना’ उपनाम से शेर कहने लगे।
  
[शेर-ओ-सुखन-भाग३ का अंश, साभार सहित उद्धृत]
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[शेर-ओ-सुखन :- अयोध्या प्रसाद गोयलीय, प्रथम संस्करण -१९५४, मूल्य तीन रुपये, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस]
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''[शेर-ओ-सुखन-भाग३ का अंश, साभार सहित उद्धृत]''
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''[शेर-ओ-सुखन :- अयोध्या प्रसाद गोयलीय, प्रथम संस्करण -१९५४, मूल्य तीन रुपये, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस]''

17:29, 17 जुलाई 2009 का अवतरण

मिर्ज़ा वाजिद हुसैन ‘यगाना’ चंगेज़खाँ के वंशजों में से हैं। आपके पूर्वज ईरान से भारत आए थे और तत्कालीन सल्तनत की तरफ़ से पटने [अज़ीमाबाद] में कुछ जागीर प्रदान किए जाने पर वहीं बस गए थे।


वहीं आपका १८८४ ई. के लगभग जन्म हुआ । उर्द-फ़ारसी की शिक्षा के अतिरिक्त १९०३ में आपने मैट्रिक परीक्षा भी पास की। स्कूल में सदैव प्रथम रहे और वज़ीफ़े, तमगे़, इनाम आदि हमेशा पाते रहे।


शायरी में आपको ‘शाद’ अज़ीमाबादी-जैसे बडे़ उस्ताद का शिष्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। १९०५ई. में आप स्वास्थ्य-सुधार की दृष्टि से लखनऊ गए थे, वहाँ का वातावरण आपको इतना पसन्द आया कि वहीं सकूनत अख्तियार कर ली और १९१३ई. में वहीं के एक प्रतिष्ठित परिवार की कन्या से शादी भी हो गई। उन दिनों आप ‘यास’ उपनाम से शायरी करते थे और ‘यास’ अज़ीमाबादी नाम से प्रसिद्ध थे।


हैदराबाद रियास के महाराजा किशन प्रसाद ‘शाद’- प्रधानमंत्री के निमंतत्रण पर आप हैदराबाद चले गए और वहाँ ‘यास’ की बजाय ‘यगाना’ उपनाम से शेर कहने लगे।


[शेर-ओ-सुखन-भाग३ का अंश, साभार सहित उद्धृत]

[शेर-ओ-सुखन :- अयोध्या प्रसाद गोयलीय, प्रथम संस्करण -१९५४, मूल्य तीन रुपये, प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस]