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यति चोट लागिसक्यो लाग्ने ठाउँ छैन / सरुभक्त

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यति चोट लागिसक्यो लाग्ने ठाउँ छैन
मुटुभित्र गोला अरु दाग्ने ठाउँ छैन
बाँच्नु पर्ने जिन्दगीमा कति मरिएछ
बिहानी लौ भयो भनी जाग्ने ठाउँ छैन
तनमन सबैतिर द्वन्द चलेको छ
कुनै द्वन्द छोडी अन्त भाग्ने ठाउँ छैन
देवता को राक्षसको चिन्न सकिएन
कसैसित आफ्नो भाग्य माग्ने ठाउँ छैन