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"यदि तुम रहो प्रिय! साथ में / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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बादलों पर नित पग धरूँ
 
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गगनपथ पर मैं डग भरूँ
 
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'''यदि तुम रहो प्रिय! साथ में'''
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चाँद का दर्पण निहारूँ
 
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तप्त तन को मैं सँवारूँ
 
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'''यदि तुम रहो प्रिय! साथ में'''
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प्रकृति- सी उन्मुक्त नाचूँ
 
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बासन्ती पृष्ठों को बाँचूँ
 
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प्रश्नपत्र यह जीवन का  
 
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लिख दूँगी उत्तर मन का  
 
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21:14, 20 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण


बादलों पर नित पग धरूँ
गगनपथ पर मैं डग भरूँ
यदि तुम रहो प्रिय! साथ में

चाँद का दर्पण निहारूँ
तप्त तन को मैं सँवारूँ
यदि तुम रहो प्रिय! साथ में

प्रकृति- सी उन्मुक्त नाचूँ
बासन्ती पृष्ठों को बाँचूँ
यदि तुम रहो प्रिय! साथ में

प्रश्नपत्र यह जीवन का
लिख दूँगी उत्तर मन का
यदि तुम रहो प्रिय! साथ में
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