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यहाँ क्या कद रहा होता / विजय वाते

अगर ऐसा नहीं होता, अगर वैसा हुआ होता?
तो मालिक ये बता तेरा यहाँ क्या कद रहा होता?

अगर पलकें झपकते ही, जवां होता कोई बच्चा,
तो फिर संभावना, तेरा कहाँ घर क्या पता होता?

ज़रा-सा इल्म भी होता, अगर होनी के होने का,
तो फिर तू क्या हुआ होता, तो फिर मैं क्या हुआ होता?

नहीं होतीं अगर दो रोटियाँ, रोटी के डिब्बे में,
तो आधी रात घर आकर कहाँ घर-सा लगा होता?

अगर जो तेरे जख्मों पर,समय मरहम लगा देता,
'विजय' फिर शेर कहने का कहाँ मौका रहा होता?