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तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना<ref>अन्धा</ref>
मेरे चिराग़ तो सूरज के हम-नसब<ref>बराबर वाला, टक्करका </ref> निकले
ग़लत था अब के तेरी आँधियों का तख़्मीना<ref>अनुमान</ref>
वो संगे-मोहतसिब<ref>धर्माधिकारी का पत्थर </ref> आया, बचाईयो मीना
हमें भी हिज़्र हिज्र<ref>विछोह</ref> का दुख है ना कुर्ब क़ुर्ब<ref>सामीप्य</ref> की ख़्वाहिश<ref>चाहत</ref>
सुनो कि भूल चुके हम भी अहदे-पारीना<ref>प्राचीन समय, पुराना वादा </ref>