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यही तो सवाल है / नाज़िम हिक़मत

 (लम्बी कविता का एक अंश)

दुनिया की सारी दौलत से पूरी नहीं हो सकती उनकी हवस
चाहते हैं बनाना वे ढेर सारी रक़म
उनके लिए दौलत के अम्बार लगाने के लिए
तुम्‍हें मारना होगा औरों को, ख़ुद भी मरना होगा दम-ब-दम ।

झाँसा पट्टी में उनकी आना है?
या धता बताना है ?
तुम्‍हारे सामने यही तो सवाल है !
झाँसें में न आए तो जियोगे ता-क़यामत
और अगर आ गए तो मरना हरहाल है ।

(1951)