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"यह चाँद नया है नाव नई आशा की / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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होगा चाँद निहारा,
 
होगा चाँद निहारा,
 
फूट पड़ी होगी नयनों से
 
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सहसा जल की धारा,
 
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इसके साथ जुड़ीं  
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:::मैं इनके ही संग-सहारे
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:गाता आ जाऊँगा तुम तक एकाकी।
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:यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
 
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22:47, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
आज खड़ी हो छत पर तुमने
होगा चाँद निहारा,
फूट पड़ी होगी नयनों से
सहसा जल की धारा,
इसके साथ जुड़ीं जीवन की
कितनी मधुमय घड़ियाँ,
यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
सात समुंदर बीच पड़े हैं
हम दो दूर किनारे,
किंतु गगन में चमक रहे हैं
दो तारे अनियारे,
मैं इनके ही संग-सहारे
स्वप्न तरी में बैठा
गाता आ जाऊँगा तुम तक एकाकी।
यह चाँद नया है नाव नई आशा की।