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यह तन इक दिन होय जु छारा / जुगलप्रिया

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यह तन इक दिन होय जु छारा।
नाम, निशान न रहि है रंचहु भूलि जायगो सब संसारा।
काल घरी पूजी जब हू है लगै न छोड़त भ्रम जारा॥
या माया नरिन के बस में भूलि गयौ सुखसिंधु अपारा।
जुगल प्रिया अजहूँ किन चेतत मिलि हैं प्रीतम प्यारा॥