यह मन नेक न कह्यौ करे।
सीख सिखाय रह्यौ अपनी सी, दुरमतितें न टरै॥
मद-माया-बस भयौ बावरौ, हरिजस नहिं उचरै।
करि परपंच जगतके डहकै अपनौ उदर भरै॥
स्वान-पूँछ ज्यों होय न सूधौ कह्यो न कान धरै।
कह नानक, भजु राम नाम नित, जातें काज सरै॥
यह मन नेक न कह्यौ करे।
सीख सिखाय रह्यौ अपनी सी, दुरमतितें न टरै॥
मद-माया-बस भयौ बावरौ, हरिजस नहिं उचरै।
करि परपंच जगतके डहकै अपनौ उदर भरै॥
स्वान-पूँछ ज्यों होय न सूधौ कह्यो न कान धरै।
कह नानक, भजु राम नाम नित, जातें काज सरै॥