यह माँ के आने का संकेत है
जब भोर सूर्य में से फूटती है, मलय समीर के विनम्र हाथ पत्तियों को खनखनाते हैं, किरण-बालाएं हौले-हौले घटा-वीथियों से मटक-मटक चलकर खिड़कियों के झरोखों से झांक कर मुस्कराती है, हवा मालती-चमेली-बेला की लताओं से देह खुजलाती आँगन में धुप की चटाई पर बैठ गुनगुनाती है
तो यह माँ के आने का संकेत है...
जब हवा
श्लोक बुदबुदाते हुए
शिवाले की घंटनाद अपने कन्धों पर लादे सिरहाने आ-बैठती है, गली में सब्जी बेचते ठेलेवाले से कोई माई करेले या भिंडी मोलती हुई सादी की छोर से बंधे पैसे खोल कुंजड़े को गिन-गिन देती है
तो यह माँ के आने का संकेत है...
जब छौंके की गंधिल ध्वनि रसोई से चल कर डाइनिंग टेबल पर ता-ता थैया करती है, जब स्कूल के रिक्शे से बच्चा 'मोम! बॉय' उच्चारता है, जब तुलसी की क्यारियाँ सींचती कोई माई खांसती है
तो यह माँ के आने का संकेत है...