Last modified on 9 अगस्त 2012, at 11:37

यह मुकुर / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 9 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभाम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह मुकुर दिया था तू ने :
     आज यह मुझ से टूट गया।
     यों मोह कि तेरे प्रिय की छवि को
     बार-बार मैं देखूँ-छूट गया।

     उस दिन यह मुकुर रचा तेरा,
     तेरे हाथों में टूटेगा,
     मोह दूसरा पात्र प्यार का
     रचने का उस दिन क्या
     तुझ से छूटेगा?

अल्मोड़ा
10 जुलाई, 1958