Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
यह समर्पण है, न बोलो वासना है
यह हमारे प्रेम की अवमानना है
इस सुखद स्पर्श को उर में बसा लो
यह हमारे प्रेम की प्रस्तावना है
 
मात्र आलिंगन प्रिये समझो न इसको
यह हमारे प्रेम की आराधना है
 
एक चुम्बन से सुमन सब खिल उठेंगे
यह हमारे प्रेम की सम्भावना है
 
आप मेरे प्रेम के प्रति हों सशंकित
यह कहाँ की आपकी सद्भावना है
 
आपका देखा है शिष्टाचार अब तक
हृदय का उद्गार आगे देखना है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits