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याँ सूरतो-सीरत से बुत कौन-सा ख़ाली है / सौदा

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याँ सूरतो-सीरत से बुत कौन-सा ख़ाली है
पर राह मुहब्बत की दोनों से निराली है

जल्वा तो ख़ुदाई का देखा है बुतों में ही
समझौते को फिर आगे इक बात बना ली है

इक रंग के जल्वे ने खैंचा है मिरे दिल को
सूरत तो न मैं समझा गोरी है कि काली है

ख़ूबों के तईं1 रुत्बा क्या हुस्न ने बख़्शा है
गाली भी जो वो देवें तो शे'रे-जमाली2 है

दिल को तो किया टुकड़े इस ज़ुल्फ़3 के तुर्रे ने
चंगुल से बला के मैं इक जान बचा ली है

क़ता

तरग़ीब4 न कर मुजह्को वाँ चलने की ऐ 'सौदा'
उस यार ने अब हमसे ये चुह्ल निकाली है

वारद मैं हुआ उसके कल घर में तो ये देखा
त्यौरी सी चढ़ी सूरत कुछ और बना ली है

हर बात पे है मेरी औरों से उसे चश्मक5
मुझ पर वो कनाया6 है नौकर पे जो गाली है

शब्दार्थ:
1. सुन्दरियों को, 2. सुन्दर शे'र, 3. पेच (जैसे पगड़ी का तुर्रा), 4. प्रेरणा, 5.हल्की झड़प, 6. इशारे में बात कहना