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यादों की महक / जितेंद्र मोहन पंत

दिखेगी रंगीन मिलन—पलों की झलक
दर्पण में स्वप्नों के ।
फैलेगी मधुर यादों की महक,
झोंको से पवनों के ।।

मन छू लेंगी बूंदें प्यार की
गिरकर छलकती गागर से।
अविराम बहेगी अश्रुधारा
गहन नयन सागर से ।।

गूंजेगा कर्ण—मंदिर में
खनक नाद लय आरती
भ्रम होगा जैसे तू
दे आवाज पुकारती ।।