यादों ने क्या ज़ुल्म किए दिल जानता है
कैसे हम कल रात जिये दिल जानता है
किन लोगों का हाथ रहा बरबादी में
किस किस ने एहसान किये दिल जानता है
टूटे ख़्वाबों की किरचों ने सारी रात
आंखों पर क्या जब्र किये दिल जानता है
ग़ैर तो आख़िर ग़ैर थे उनसे क्या मतलब
अपनों ने जो ज़ख़्म दिये दिल जानता है
हमको अपने ग़म पोशीदा रखने थे
हमने कितने अश्क पिये दिल जानता है