Last modified on 19 सितम्बर 2018, at 12:51

याद की परछाइयां / राजेश गोयल

याद की परछाईयों के, गीत गाने दो मुझे तुम।
सिसकती अंगड़ाईयों के, गीत गाने दो मुझे तुम॥
याद की परछाईयों को,
ढूढ़ने को मैं चला हूँ।
दर्द की तन्हाईयों को,
बीनने को मैं चला हूँ॥
सागर की गहराईयों में, डूब जाने दो मुझे तुम।
याद की परछाईयोंके, गीत गाने दो मुझे तुम॥
अश्रु की गहराइयों में,
गीत ढूंढता हूँ मैं।
सिसकती अमराईयो में,
पीर देखता हूँ मै॥
धड़कती तन्हाईयों को, भूल जाने दो मुझे तुम।
याद की परछाईयोंके गीत गाने दो मुझे तुम॥
सिन्धु की गहराईयों में,
अश्रु ढूंढता हूँ मैं।
सपनों की कल्पना में,
प्यार देखता हूँ मैं॥
प्यार की शहनाईयाँ को गुनगुनाने दो मुझे तुम।
याद की परछाइयोंके गीत गाने दो मुझे तुम॥