Last modified on 11 अक्टूबर 2007, at 01:34

युद्ध में रोना नहीं चाहिए / येव्गेनी येव्तुशेंको

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:34, 11 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको |संग्रह=धूप खिली थी और रिमझिम...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: येव्गेनी येव्तुशेंको  » संग्रह: धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा
»  युद्ध में रोना नहीं चाहिए

युद्ध में

रोना नहीं चाहिए

चाहे युद्ध हो वह कितना बड़ा


सूखी रोटी

भीगने पर

मुलायम हो जाती है जैसे

कड़ी धरती भी

शहीदों के लिए

नर्म हो जाती है वैसे