भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यूँ अचानक हुक्म आया लॉकडाउन हो गया / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:55, 16 नवम्बर 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यूँ अचानक हुक्म आया लॉकडाउन हो गया
यार से मिल भी न पाया लॉकडाउन हो गया

बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह
दिल हमारा फड़फड़ाया लॉकडाउन हो गया

घर के बाहर है कोरोना, घर के भीतर भूख है
मौत का कैसा ये साया लॉकडाउन हो गया

गांव से लेकर शहर तक हर सड़क वीरान है
किसने ये दिन है दिखाया लॉकडाउन हो गया

किसकी ये शैतानी माया, किसने ये साजिश रची
किसने है ये जुल्म ढाया लॉकडाउन हो गया ?

ज्यों सुना टीवी पे कोरोना से फिर इतने मरे
झट से दरवाजा सटाया लॉकडाउन हो गया

कल लगाता था गले अब छू नहीं सकता उन्हें
मुश्किलों का दौर आया लॉकडाउन हो गया