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यूँ दिल में अरमान बहुत हैं / जगदीश चंद्र ठाकुर

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यूँ दिल में अरमान बहुत हैं
अक्षत कम भगवान बहुत हैं |

हासिल हो तो भी क्या होगा
फिर भी वे हैरान बहुत हैं |

यहाँ मुखौटे का फैशन है
गुल हैं कम गुलदान बहुत हैं |

शहर नया दस्तूर पुराना
दर हैं कम दरबान बहुत हैं |

सच बोलोगे, दार मिलेगी
झूठ कहो, ईनाम बहुत हैं |

हैं हकीम बीमार आज खुद
नुस्खे भी नादान बहुत हैं |

सुबह तुम्हारी मुट्ठी में है
दुनिया में इंसान बहुत हैं |