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यूँ ही दिल को अगर गुदगुदाते रहो / राहत इन्दौरी

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यूँ ही दिल को अगर गुदगुदाते रहो
यूँ ही आंखें अगर तुम मिलाते रहो
यूँ ही नज़रें अगर तुम चुराते रहो
यूँ ही पास अगर आते रहो जाते रहो
इक न इक दिन मोहब्बत हाँ मोहब्बत हो जाएगी
मैं भी खो जाऊंगा, तू भी खो जाएगी

जब मोहब्बत की भड्केंगी चिंगारियां
गर बुझाया उन्हें तो उठेगा धुआं
जब कभी शर्म से चुप रहेगी ज़ुबां
बोल उठेंगी आँखों की खामोशियाँ
यूँ ही तूफ़ान दिल में उठाते रहो
यूँ ही हमें यूँ सताते रहो
यूँ ही ज़ख्मों पे मरहम लगाते रहो
यूँ ही पास अगर आते रहो जाते रहो

गुनगुनाते हुए रात जब आएगी
खुद ब खुद आँखों से नींद उड़ जाएगी
दिन ब दिन धडकनें और होंगी जवां
होश ऐसे में होगा हमें फिर कहाँ
यूँ ही ये जां हमपे लुटाते रहो
यूँ ही कदमों में दिल को बिछाते रहो
यूँ ही सीने से हमको लगाते रहो

यूँ ही पास अगर आते रहो जाते रहो
इक न इक दिन मोहब्बत हाँ मोहब्बत हो जाएगी
मैं भी खो जाऊंगा, तू भी खो जाएगी


यह गीत राहत इन्दौरी ने फ़िल्म 'इन्तहा' (2003) के लिए लिखा था ।