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ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी / अदम गोंडवी
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ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन<ref>निर्णायक</ref> जंग थी ।
फिर कहाँ से बीच में मस्जिद औ' मंदर आ गए ।
जिनके चेह्रे पर लिखी थी जेल की ऊँची फ़सील<ref>दीवार</ref>,
रामनामी ओढ़कर संसद के अन्दर आ गए ।
देखना, सुनना व सच कहना इन्हें भाता नहीं,
कुर्सियों पर अब वही बापू के बंदर आ गए ।
कल तलक जो हाशिए पर भी न आते थे नज़र,
आजकल बाज़ार में उनके कलेण्डर आ गए ।
शब्दार्थ
<references/>