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ये ज्वालामुखी क्या अचानक / अशेष श्रीवास्तव

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ये ज्वालामुखी क्या
अचानक ही फूट जाता है...

सदियों की धधकती आग में
लावा उफन कर बाहर आता है...

हमेशा जो घटता है वो
अकस्मात नहीं घट जाता है...

बहुत समय से जमा होते कुछ
कारणों से ये घट पाता है ...

बीज बोते ही वृक्ष
खड़ा नहीं हो जाता है...

समय व देखरेख से
बीज वृक्ष बन पाता है...

क्या किसी के हराने से
कोई हार जाता है...

जब तक ख़ुद न माने तो
कोई हार नहीं पाता है...

क्या सब पा कर भी कोई
सुकूँ पा पाता है...

जो हर हाल में खुश हो
वही सुकूँ पा पाता है...

क्या हम जो सोचें सदा
वो ही हो पाता है...

हमारे लिये अच्छा क्या है
कोई समझ नहीं पाता है...