Last modified on 11 अक्टूबर 2017, at 13:53

ये तो अच्छा है जो निहाँ है दिल / सुभाष पाठक 'ज़िया'

ये तो अच्छा है जो निहाँ है दिल
वरना कब से धुआँ धुआँ है दिल

देखिये गर तो सिर्फ़ पैक़र है
सोचिये गर तो इक जहाँ है दिल

याद आयातुम्हे दिया था ना
ये तो बतलाओ अब कहाँ है दिल

जिस्म तहज़ीब ए हिन्द है मेरा
साँस है बिरहमन तो ख़ाँ है दिल

वो ये कहता है दिल तो बस दिल है
मैं ये कहता हूँ मेरी जाँ है दिल

कुछ ख़बर ही नहीं है सीने को
जब कि सीने के दरमियाँ है दिल