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ये हादसा मेरी आँखों से गर नहीं होता / चित्रांश खरे

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ये हादसा मेरी आँखों से गर नहीं होता
तो कोई ग़म भी मेरा हमसफर नहीं होता

हवा के खौफ से लो थरथराती रहती है
बुझे चराग़ को आँधी का डर नहीं होता

कदम-कदम पे यहां ग़म की धूप बिखरी है
कोई सफर भी खुशी का सफर नहीं होता

खुदा की तरह मेरे दिल में गर न तू बसता
तेा मेरा दिल भी इबादत का घर नहीं होता

किसी को यूं ही वफाओं से मत नवाज़ा कर
कि बेवफा पे वफा का असर नहीं होता