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योद्धा / उर्मिल सत्यभूषण

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आराम के सपने न देखो
शान्ति के श्वेत झंडे मत झुलाओ...
मत उतारो कवच
रहो तुम तैयार
लेके निज हथियार
जंग जारी है...
तुम तो योद्धा सदा से
युद्ध करना ही तुम्हारी नियति
फिर भला कैसी विरक्ति
रक्त को उतप्त रहने दो
शक्ति की केंचुल उतारो मत
उत्साह को मत शिथिल होने दो
कि जंग जारी है...
सइ समय तुम हो अकेले
खाइयों में सुन रहे
हो ठांय-ठांय, बम धड़ाकों की
और गोले बारूदों की
डरो मत!
कुमुक पहुंचेगी जल्द
पर होशियार!
मौत की चुनौतियां
हों स्वीकार
जब तक न हो अशेष
खून की हर बूंद
लड़ते रहो योद्धा
कि जंग जारी है।