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रंग-2 / जया जादवानी

हद से हद खड़ी हो सकती हूँ
असीम के आँगन में
घेरती हुई कम से कम जगह
हद से हद घुल सकती हूँ
लाल रंग पर गिरी
एक बूंद सी
हद से हद देखी जा सकती हूँ
ब्रश की नोक से
एकाकार से ठीक पहले
चौंक पड़ती नीली बूंद नींद में अपनी
घुलने लगती है चुपचाप