Last modified on 3 अगस्त 2020, at 22:34

रंग बिरंगी तितली रानी / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

रंग बिरंगे पंख लगाए
तितली रानी आती है
बाग़ बगीचों की दुनिया में
रौनक नई जगाती है
फूलों की गलियों में जाकर
झूम-झूम मंडराती है
जिसे पकड़ने बच्चे दौड़े
लेकिन हाथ में आती है
चाहे कमह हो चंपा-चमेली
सब का रस पी जाती है
बागों की यह रानी बनकर
सुंदरता बढ़ाती है
फुर-फुर करते उड़ती तितली
सबके मन को भाती है
फूलों की ख़ुशबू को लपेटे
दुनिया को महकाती है॥