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रंजिशों में कब इंसा सोगवार रहता है / शबीना अदीब
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रंजिशों में कब इंसा सोगवार रहता है
दिल मोहब्बतों में ही बेक़रार रहता है
लौट कर नहीं आता कब्र से कोई लेकिन
प्यार करने वालों को इंतज़ार रहता है