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रउरा से जोड़नी नेह से कइसे भुलाईं हम / विन्ध्याचल प्रसाद श्रीवास्तव

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रउरा से जोड़नी नेह से कइसे भुलाईं हम,
अपना के कठकरेज अब कइसे बनाईं हम।
रउरे जरउती जोत एह निहछल पिरीत के,
एकरा के अपने हाथ से कइसे बुताईं हम।
रउरे दरद जगउनी हिया में लगाव के,
ओकरा के बन के बेदरद कइसे भुलाईं हम।
अँखिया फिरउनी तब तनिक लागल दरेग ना,
अँखिया भइल ई लोर अब कइसे छिपाईं हम।
रउरे उतार देनी सब जिनगी के चढ़ल तार,
एकरा प कौनो राग अब कइसे बजाईं हम।
लहकत बा एगो आग जे रह-रह करेज में,
कतना हिया जुड़ात बा कइसे बताईं हम।