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रक्त में घुली हुई भाषा / नीरज दइया (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा)

रक्त में घुली हुई भाषा
Rakt Mai Ghulee Hui Bhasa.jpg
रचनाकार नीरज दइया चयन-अनुवाद मदन गोपाल लढ़ा
प्रकाशक इंडिया नेटबुक, नोएडा
वर्ष 2020
भाषा हिंदी
विषय कविता
विधा मुक्त छंद
पृष्ठ 96
ISBN 978-93-89856-51-4
विविध डॉ. नीरज दइया की चयनित कविताओं का हिंदी अनुवाद
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

हिंदी में नीरज दइया की कविताएं