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"रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

ताहि कोबर सूत गेला, दुलहा से रामचंद्र, रघुनन्दन यौ
पीठि लागि सीता सुकुमारि
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

हटी सुतु हटी बैसु, ससुर जी के बेटिया, कनियाँ सुहबे हे
अहाँ देह गरमी बहुत
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

एतबा बचन जब सुनलनि कनियाँ रघुनन्दन यौ
धय लेल नहिरा के बाट
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

एक कोस गेली सुहबे दुई कोस गेली, रघुनन्दन यौ
तेसरे में गंगा बहु धार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

कहाँ गेलए किये भेले मलहा रे भैया, मलहा भैया रे
हमरो के क दय नैया के पार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

आजुका रोहिनियां हे सुहबे एतहि गमबियौ, कनियाँ सुहबे हे
भोरे होइते क देब नैया पार
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार

चँदा सुरुज सँ मलहा अपन पिया तेजलौ, मलहा भैया रे
तोरा पर कोन विश्वास
रघुनन्दन यौ अहाँ बिनु कोबर घर अन्हार