रचि भूषन आई अलीन के संग तैं, सासु के पास बिराजि गई।
मुखचंद-मऊखनि सौं 'ससिनाथ, सबै घर मैं छबि छाजि गई।
इनको पति ऐहै सकारे सखी कह्यो, यौं सुनि कै हिय लाजि गई।
सुख पाइकै नार नवाइ तिया, मुसक्याइ कै भौन में भाजि गई॥
रचि भूषन आई अलीन के संग तैं, सासु के पास बिराजि गई।
मुखचंद-मऊखनि सौं 'ससिनाथ, सबै घर मैं छबि छाजि गई।
इनको पति ऐहै सकारे सखी कह्यो, यौं सुनि कै हिय लाजि गई।
सुख पाइकै नार नवाइ तिया, मुसक्याइ कै भौन में भाजि गई॥