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रचौ-रचौ है वृन्दावन रास / ब्रजभाषा

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रचौ रचौ है वृन्दावन रास
लँगुरिया चलै तो दर्शन कर आमें॥ टेक॥
है कौन गाँव रानी राधिका,
तो कौन गाँव घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
बरसाने की रानी राधिका,
तौ नन्दगाँव घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
कौन वरन की रानी राधिका,
तौ कौन बरन घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
गोरे बरन की रानी राधिका,
तौ श्याम बरन घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
पहने कहा है रानी राधिका,
और कहा पहने घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
लाल चुंदरिया राधे पहने है,
तौ पीताम्बर घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
कहा करत है रानी राधिका,
तौ कहा करत घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.
निरत करत है रानी राधिका,
और मुरली बजावै घनश्याम॥ लँगुरिया चलै.