Last modified on 3 अप्रैल 2010, at 15:43

रब्ब से सवाल / हरकीरत हकीर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 3 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <Poem> बीजती हूँ सवाल तो उग आता ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बीजती हूँ सवाल
तो उग आता है
पसीना

रब्बा! तेरी दुनियाँ की
किसी कोख में
जवाब नहीं उगते क्या...?