Last modified on 26 मई 2016, at 23:43

रस्म आपनोॅ के आखिर निभैलेॅ चलोॅ / अश्विनी

रस्म आपनोॅ के आखिर निभैलेॅ चलोॅ
कुछ तेॅ हमरो भी चर्चा चलैलेॅ चलोॅ
जिक्र खूबी के हमरॉे तेॅ करवा तोंय नै
छोड़ोॅ दोषे केॅ तोहें गिनैलेॅ चलोॅ
है सरासर गलत छै मीता हमरोॅ दोस्त
बात नहियो बनेॅ ते बनैतेॅ चलोॅ
रोशनी के उम्मीदे की केकरौ सें हुवेॅ
आपनोॅ दिल छौं यही बस जलैलेॅ चलोॅ
कोय कविता नै छी कि पाठ ओकरोॅ करोॅ
तोहें गजले जकां हमरा गेलेॅ चलोॅ