|रचनाकार=भूषण
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<poem>राखी हिन्दुवानी हिन्दुवान को तिलक राख्यौ , स्मृति अस्मृति पुरान राखे वेद बिधि धुन सुनी में .मैं
राखी रजपूती राजधानी राखी राजन की
धरा मे धरम राख्यौ ज्ञान गुन गुनी में .मैं
भूषन सुकवि जीति हद्द मरहट्टन की
देस देस कीरति कीरत बखानी तब सब सुनी में.मैंसाहि के सपूत सिवराज समसेर शमशीर तेरी, दिल्ली दल दाबि के दीवाल दिवाल राखी दुनी में .मैं</poem>