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राख हटी तो अब हुए सोले लोग / सांवर दइया

राख हटी तो अब हुए सोले लोग।
आज है अपनी ताक़त तोले लोग।

चारों तरफ़ उठ रही हैं आवाज़े,
लगता कई दिनों बाद बोले लोग!

फितरत वही है सदा डसने वाली,
आये हैं फिर बदलकर चोले लोग!

उनको कहते आग लगा देंगे हम,
कितने मायूस, कितने भोले लोग!

खुद देखें, न देखें, लेकिन हो भोर,
घूम रहे हैं लिये हथगोले लोग!