Last modified on 28 मई 2020, at 12:25

रागनी 14 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 28 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेन्द्र सिंह 'फौजी' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रोवै मतना ताई री क्यूँ ना दिल अपणा समझावै
अमर होया तेरा लाल री क्यूँ ना गीत खुशी के गावै

देश की खातिर ताई री शहीद होया तेरा लाल
दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए री कर दिया उसनै कमाल
मतना रोवै होश सम्भाल-2 ना आख्याँ तै नीर बहावै

जमकै लड़ी लड़ाई री ना वह दुश्मन तै घबराया
लड़ते लड़ते मरग्या ना उनै तेरा दुध लजाया
दुनिया के म्हाँ नाम कमाया-2 हर कोए शीश छुकावै

आवागमन लगा दुनिया म्हं कोए आवै कोए जावै
जिसके होज्या सांस री पूरे उनै कोए बचा ना पावै
क्यूँ ना बावली मन समझावै-2 ना रो-रो रुद्धन मचावै

कहै फौजी विजेन्द्र ताई री तुं भागा आली सै
जिसका ना कोए दुनिया म्हं उंका राम रुखाली सै
दुनिया कि रीत निराली सै-2 क्यूँ ना ध्यान हरि म्हं लावै
तर्ज-एक डाल पर तोता बोले एक डाल पर मैना