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रागनी 3 / विजेन्द्र सिंह 'फौजी'

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बिस्तर बाँध कै तैयारी कर ल्यो
जाणा सै जाणा सै जाणा सै
कारगिल क्षेत्र म्हं दुश्मन घुसगे अपणे घर म्हं

आज रात नै चलणा सै रै
हुक्म फौज का ना टलणा सै रै
रातों रात म्हं पहुँचा दयुंगा
ला दयुंगा ला दयुंगा ला दयुंगा
टाप गेयर मैं

आज देश नै जरूत सै म्हारी
दुश्मन तै लड़ने की कर ल्यो तैयारी
नहीं घबराणा जीत कै आणा
पाला जीत का पाला जीत का पाला जीत का
होगा अपणे फेवर म्हं

जब गादड़ की मौत रै आवै
गाम की तरफ वह दौड़ लगावै
मगरमच्छ तै बैर बाँध लिया
घुस कै घुस कै घुस कै
गहरे समन्दर म्हं

विजेन्द्र सिंह कह डोहकी आला
रट ल्यो थम हरि नाम की माला
थारे मन की चाही होज्या
धरो ध्यान रै धरो ध्यान रै धरो ध्यान रै
सच्चे ईश्वर म्हं
तर्ज-पंजाबी (घर म्हं नहीं री कोए देवर तेरा आरया)