भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राग बाह्रमास / अभयानन्द

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 16 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= अभयानन्द |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


वाजत अनहद नाद धुनी सुता आनन्द मेरो ।।ध्रु।।
काहे असार नाद मैं परवस्ती चैद भूवन सर्वत्रप्रकाश ।।
सोहि नद सुरमुनि धाये सनकादी ध्यान लगावेपरम पद पावे ।।वाजत.।।१।।
वीमु वादल श्रावण जाहा वरोषा लागे अमृत वरसत सहश्र अधारा ।।
अमृत पीवे संतसर थपेर नआवे येही संसार जीवनमुक्त होई ।।वाजत.।।२।।