राजकुमारी, मुझे उंगली पकड़कर ले चलो
आओ कि हम चलें अब
गुज़रें उर्वर अर्धचन्द्र से
लौटें अपनी ज़मीं पर
कोई नहीं पहुँचा सकता हमें क्षति
और हम भी नहीं किसी को
अंधे हो जाने से और बढ़ती है बीनाई
जब तक कि सब रोशन नहीं हो जाता
प्रकाश स्मृति का ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना