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राजनीति के राह / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

राह भी कटीला हो,
कनै खद्ध हो
तऽ कनै टीला हो
कभी उछलै पड़तो,
त कभी फानै ले भी पड़तो
कभी हँसैले
त कभी कानै ले भी पड़तो
हड्डी के रीढ़
नै देवलो हे
खाली मेंटा गेलो हे,
टूट कही नै हो
खाली चोआ गेलो हे
तो चोटो खैला पर
आह नै भरऽ हा,
खाई खोदऽ हा लेकिन
राह नै भरऽ हा
रोना के सुनतो?
ई झार फूंक
टोना के सुनतो?
कोय कुंडली मार रहल
तऽ कोय पतरा देख रहल हे
जोतसी ओकरा
कुरसी पर खतरा देखा रहल हे
कोय देवता पूजऽ हे
कोय पूजऽ हे भूत
ई धरम
कर रहले हे
राजनीति के माथा गरम
जेकरा जैसे पेट भरे
भर रहले हे
कोय फर रहले हे
कोय झर रहले हे।