भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजा के कुमार सभ तो निपट सुकुमार दोऊ / महेन्द्र मिश्र

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:18, 22 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 राजा के कुमार सभ तो निपट सुकुमार दोऊ
आज लौं न देखे सोई आज देखलाऊ मैं।
चम्पा की चमक चारू चंदन गुलजार करे
गेंदा गम्भीर गमल मालती सुँघाऊ मैं।
बेली हो बेली जूही केतकी कमाल करे,
गावत गंधर्व गीत तान को सुनाऊँ मैं।
द्विज महेन्द्र रामचन्द्र चलो जी हमारे संग,
मालिन की मीठी-मीठी बैन भी सुनाऊँ मैं।