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राज सिंहासन / नवीन कुमार सिंह

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मिला राज सिंहासन तुमको, लेकिन इतना भान रहे।
सूरज ज्यों चमके अम्बर में, वैसा हिन्दुस्तान रहे॥

माना राज्य चला करता है, बुद्धिमान दरबारों से।
पर हे राजन बच के रहना, निर्लज चाटुकारों से॥
अमृत का रस पान करो पर, थोड़ा विष भी चख लेना।
अपने दरबारों के अंदर, एक निंदक भी रख लेना॥
नारी हो निर्भीक-सुरक्षित, पूर्वज का भी मान रहे।
सूरज ज्यो चमके अम्बर में, वैसा हिन्दुस्तान रहे॥

व्यापारी गण लाभ कमाएँ, उद्योगों का पोषण हो।
कृषक रहे खुशहाल सदा, मजदूरों का ना शोषण हो॥
शिक्षा का भी स्तर ऐसा हो, पढ़ने में आनन्द मिले।
फिर से इस पावन धरती पर हमे विवेकानंद मिले॥
भारत भू पर जन्मे है हम, यह सबको अभिमान रहे।
सूरज ज्यो चमके अम्बर में, वैसा हिन्दुस्तान रहे॥

घर में बच्चे भूखे सोये ऐसा इक परिवार न हो।
रोटी के बदले, तन बेचें, यूँ कोई लाचार न हो। ।
दुश्मन करे प्रहार अगर, उसको प्रतिकार प्रचण्ड मिले।
देश द्रोह की बात करे, उसको बस मृत्युदण्ड मिले॥
जन ने सेवक तुम्हे चुना है, इसका तुमको ज्ञान रहे।
सूरज ज्यो चमके अम्बर में, वैसा हिन्दुस्तान रहे॥