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रात आ गई / रामकृपाल गुप्ता

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रात आ गई रात आ गई
गली गली अँधियारा छाया
फैली एक रंग की माया
आसमान पर तारों की बारात आ गई
रात आ गईरात आ गई
खंभो से लटके कुछ अटके
बिजली के लट्टू कुछ भभके
घूम रहे थे भटके-भटके
धोबी के गदहे घर सटके
जोर-जोर से कुत्ते भौंके
देखो कोई बात हो गई
रात आ गई, रात आ गई
सड़क और पगडंडी सूनी
बन्द दुकानें मंडी सूनी
मंदिर की मुरझाई धूनी
गया पुजारी थामे थूनी
उल्लू बोले कहीं
कहीं पर चकवा, चकई
रात आ गई, रात आ गई