भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात का नाम सवेरा ही सही / 'हफ़ीज़' बनारसी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 29 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='हफ़ीज़' बनारसी |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात का नाम सवेरा ही सही
आप कहते हैं तो ऐसा ही सही
 
क्या बुराई है अगर देख लें हम
ज़िन्दगी एक तमाशा ही सही

क़त्ल कर देगी उसे भी दुनिया
अपने युग का वह मसीहा ही सही

तुम तो मौसम की तरह मत बदलो
अब ज़माने का ये शेवा ही सही

मेरा क़द आप से ऊँचा है बहुत
मैं 'हफ़ीज़' आप का साया ही सही