Last modified on 21 अक्टूबर 2019, at 00:21

रात चांदनी चूनर ओढ़े (शरद गीत) / उर्मिल सत्यभूषण

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:21, 21 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मौसम की अंगड़ाई है
और हवा ने रुख बदला है

कुदरत ने नवगीत सुनाये
कलियाँ और किसलय मुस्काये
डोली उठी घटाओं की भी
पेड़ों पर पत्ते अंखुआयें

घायल करने वाली गर्मी
तपिश की हुई विदाई है
और हवा ने रुख बदला है

रात चांदनी चूनर ओढ़े
छत पर धरती चरण सलोने
गुनगुन करती, छमछम करती
झांझर बजती हौले हौले

लजा लजा चूनर सरकाती
धीरे से मुस्काई है
और हवा ने रुख बदला है

रात चांदनी चूनर ओढ़े
छत पर धरती चरण सलोने
गुनगुन करती, छमछम करती
झांझर बजती हौले हौले

लजा लजा चूनर सरकाती
धीरे से मुस्काई है
और हवा ने रुख बदला है

मंद पवन है गले लगाती
दग्ध बदन को सहला जाती
गा गा मीठे गीत प्रेम के
युग्लों के मन प्रीत जगाती

समरसता वाली रुत प्यारी
शरद सुहानी आई है।
और हवा ने रुख बदला है